नए उद्यमी अक्सर परियोजना रिपोर्ट (Project Report) को लेकर काफी संशय में रहते हैं और वह इसका अर्थ जानने के अलावा यह भी जानना चाहते हैं की इसकी आवश्यकता एवं विशेषताएँ क्या हैं। इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से आज इस विषय पर भरपूर जानकारी देने की कोशिश करेंगे। किसी भी बिजनेस की योजना बनाने में इस दस्तावेज का अहम् योगदान होता है। क्योंकि यह एक ऐसा दस्तावेज होता है जो प्रस्तावित व्यापार की समग्र तस्वीर के बारे में विवरण प्रदान करता है।
यह प्रस्तावित योजना या गतिविधि में संभावनाओं का पता लगाने में भी सहायक होती है। और लगभग हर छोटा बड़ा बिजनेस करने वाले उद्यमी को इसकी आवश्यकता होती है यही कारण है की लोग अक्सर इस बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। इससे पहले की हम इसकी विशेषताओं एवं आवश्यकता पर बात करें आइये जानते हैं की प्रोजेक्ट रिपोर्ट होती क्या है।
लेख की विषय वस्तु दिखाएँप्रोजेक्ट रिपोर्ट को हम किसी निवेश से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी कह सकते हैं। इसमें किसी योजना का वह डाटा होता है जिससे उस परियोजना का व्यवहारिक आधार पर मूल्यांकन किया जा सके।
इस परियोजना रिपोर्ट में आर्थिक, तकनीकी, वित्तीय, प्रबंधकीय और उत्पादन सभी पहलुओं पर जानकारी शामिल होती है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट उद्यमी को बिजनेस से जुड़े इनपुट जानने में सक्षम बनाता है और उसे बैंकों या वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करवाने में भी मदद प्रदान करता है।
एक Project report में बिजनेस से जुड़ी लगभग सभी बातें जैसे भूमि एवं ईमारत की विस्तृत जानकारी, प्लांट की प्रतिवर्ष विनिर्माण क्षमता, विनिर्माण प्रक्रिया, मशीन एवं उपकरणों की लिस्ट के साथ उनकी कीमतें, कच्चे माल की आवश्यकता, स्टाफ अर्थात मैनपावर की आवश्यकता, मार्केटिंग लागत, बिजली, पानी इत्यादि सभी प्रकार के खर्चे शामिल रहते हैं।
इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
किसी भी बिजनेस में उद्यमी द्वारा परियोजना रिपोर्ट तैयार करना एक बहुत ही आवश्यक एवं उपयोगी कार्य है क्योंकि इसके माध्यम से उद्यमी बिजनेस का औद्योगिक पंजीकरण जैसे कई अन्य फायदों का लाभ ले सकता है। इससे उद्यमी को अपने बिजनेस के लिए भूमि का आंवटन, ऋण स्वीकृति, सब्सिडी की मंजूरी, कच्चे माल के कोटे का आंवटन, ढांचागत सुविधाएँ प्राप्त करने में मदद मिलती है।
इन सबके अलावा एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट में बिजनेस को स्थापित करने में आने वाले खर्चे एवं कुछ आने वाले वर्षों में इससे होने वाली कमाई का ब्यौरा भी सम्मिलित होता है। यही कारण है की यह उद्यमी को बिजनेस के दौरान भी कई बार मदद करने में सहायक होती है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट के माध्यम से ही उद्यमी यह जान पाने में सक्षम हो पाता है की उस बिजनेस विशेष में निवेश करना कमाई की दृष्टी से उपयुक्त है की नहीं। इसके अलावा उद्यमी प्रोजेक्ट रिपोर्ट के माध्यम से किसी निवेशक या वित्तीय संस्थान से सहायता ले पाने में भी सक्षम हो पाता है।
इसे तैयार करने या लिखने के कुछ प्रमुख फायदों की लिस्ट इस प्रकार से है।
जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट में किसी परियोजना के बारे में सब कुछ लिखित रूप में होता है। कहने का आशय यह है की जब आप किसी बिजनेस को शुरू करने पर विचार कर देते हैं, तो उसके बाद आपको बैंक ऋण लेने, निवेशकों को आकर्षित करने एवं स्वयं अनुमानित कमाई और खर्चे का अनुमान लगाने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि आम तौर पर जटिल परियोजनाओं के लिए इस प्रकार की यह रिपोर्ट किसी एक्सपर्ट या फिर जो संस्थाएं इस काम को करने से जुड़ी हुई हों, उनसे बनानी चाहिए। लेकिन कुछ छोटे परियोजनाक जैसे जनरल स्टोर, चाय की दुकान, जूते चप्पल की दुकान इत्यादि व्यवसायों के रिपोर्ट व्यक्ति चाहे तो खुद भी बना सकता है। तो आइये जानते हैं की एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट में किन किन बिन्दुओं को शामिल किया जाना आवश्यक होता है।
सबसे पहले आपको अपनी परियोजना का सारांश लिखने की आवश्यकता होती है। इसमें आपको प्रमोटर का नाम, व्यवसाय का वैधानिक स्वरूप, प्रमोटर के पिता/पति का नाम, और इकाई का पता, उत्पाद और सह उत्पाद का नाम, प्रोजेक्ट का नाम, परियोजना की कुल लागत, वित्त के प्रबंध के स्रोत यानिकी कितना उद्यमी लों लेगा और कितनी अपनी जेब से लगाएगा, यदि लोन लेने की योजना है तो उसका भुगतान का समय, ब्रेक इवन पॉइंट, कितने कर्मचारियों की नियुक्ति होगी उनकी संख्या, बिजली की कितनी आवश्यकता होगी, उसका विवरण, मुख्य कच्चा माल क्या होगा उसका नाम इत्यादि कई डिटेल्स इसके सारांश में भरनी होती है । आम तौर पर एक सरल परियोजना रिपोर्ट का सारांश ही उसका पहला पेज होता है।
प्रमोटर यानिकी परियोजना या व्यवसाय शुरू करने वाला व्यक्ति उस व्यवसाय को करने के लिए किस प्रकार से आदर्श उम्मीदवार है । यदि कोई व्यक्ति प्रोजेक्ट रिपोर्ट को देखकर यह जानना चाहता है तो वह कैसे जान पाएगा । इसलिए उद्यमी जो खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहा हो, उसे अपनी शिक्षा, काम करने का अनुभव, की स्किल्स इत्यादि के बारे में जरुर लिखना चाहिए।
ताकि जब किसी बैंक के पास ऋण के लिए आवेदन करते समय आपकी बनाई हुई प्रोजेक्ट रिपोर्ट वहाँ पर पहुंचे तो वे आपकी शैक्षणिक योग्यता, वर्क एक्सपीरियंस इत्यादि को देखकर यह आसानी से निर्णय ले सकें की यह प्रमोटर इस बिजनेस को चलाने में योग्य है या नहीं। यही नहीं प्रमोटर की क्वालिफिकेशन को देखकर निवेशक भी उस बिजनेस में निवेश करने को उत्साहित हो सकते हैं ।
आप जो बिजनेस शुरू कर रहे हैं उसके बारे में आपने मार्किट रिसर्च की है या नहीं, उसका पता आपकी परियोजना रिपोर्ट को देखकर किसी को भी तब चलेगा, जब आप उस व्यवसाय में उपलब्ध बाज़ार संभावनाओं का उल्लेख करेंगे। यह रिसर्च करने के लिए आपको बहुत मेहनत करने की आवश्यकता होगी । आप चाहें तो किसी ऐसे संस्थान से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं जो इस विभिन्न क्षेत्रों में मार्किट रिसर्च करते रहते हैं । इस आंकड़े को प्राप्त करने के लिए हो सकता है की आपको उन्हें थोड़ा बहुत भुगतान करने की आवश्यकता हो।
इस मार्किट रिसर्च में आपको उस सेक्टर की वर्तमान स्थिति और पिछले कुछ सालों में उसका प्रदर्शन कैसा रहा और आगे आने वाले सालों में विशेषज्ञ उस सेक्टर के बारे में क्या कहते हैं का पूरा उल्लेख करना होगा।
भारत में कोई भी बिजनेस शुरू करने से पहले आपको उसे वैधानिक स्वरूप प्रदान करना जरुरी होता है । इस देश में इन सब कामों के लिए भारत सरकार ने एक अलग सा मंत्रालय मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स बनाया हुआ है। इसमें आप अपने बिजनेस को अपनी सुविधानुसार प्रोप्राइटरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और अन्य भी कई वैधानिक स्वरूपों के तहत रजिस्टर करा सकते हैं।
इसके अलावा आपको टैक्स रजिस्ट्रेशन, शॉप एंड एस्टाब्लिश्मेंट रजिस्ट्रेशन, उद्यम रजिस्ट्रेशन और बिजनेस की प्रकृति के आधार पर अन्य रजिस्ट्रेशन जैसे फ़ूड लाइसेंस, फायर डिपार्टमेंट से एनओसी, कॉस्मेटिक एंड ड्रग लाइसेंस, ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन, इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड इत्यादि कई तरह के रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है ।
आपकी उस परियोजना को संचालित करने के लिए किस किस तरह के लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी उसका विवरण भी आपने परियोजना रिपोर्ट में लिखना है।
आप अपनी व्यवसायिक इकाई कहाँ पर स्थापित करना चाहते हैं क्या वह एक इंडस्ट्रियल एरिया है यदि नहीं तो क्या वह स्थान उद्योग लगाने के लिए उपयुक्त है। जहाँ पर आप अपनी परियोजना स्थापित करना चाहते हैं क्या वहां पर आधारभूत सुविधाएँ बिजली, पानी, सड़कें आपके बिजनेस के अनुकूल बनी हैं।
कच्चा माल, मजदूरों इत्यादि की उपलब्धता, सरकार द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वहां पर सस्ती जमीन उपलब्ध कराई है या नहीं इत्यादि के बारे में आपको इस सेक्शन में विवरण देना होता है ।
आपकी परियोजना का आकार क्या रहने वाला है, और उसको अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए आपको उस परिसर में निर्माण संयत्र के अलावा अन्य किन किन चीजों के लिए कंस्ट्रक्शन की आवश्यकता हो सकती है। स्टोर रूम, विद्युत् रूम, सिक्यूरिटी रूम, ऑफिस, निर्माण एरिया इत्यादि के बारे में प्लांट लेआउट के आधार पर विवरण लिखने की आवश्यकता होती है ।
इतना ही नहीं आप चाहें तो प्लांट लेआउट को अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ संग्लन कर सकते हैं। और यह प्लांट लेआउट बनाने के लिए आप किसी अनुभवी वास्तुकार की मदद ले सकते हैं । आपके बिजनेस के लिए कुल कितनी वर्गफीट जगह चाहिए होगी, उसका विवरण भी इसमें होना चाहिए।
परियोजना रिपोर्ट के इस सेक्शन में आपको उस बिजनेस को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए किस किस प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होगी। उसकी पूरी लिस्ट लिखनी होगी ध्यान रहे इस लिस्ट में केवल प्रोडक्ट को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल का नहीं, बल्कि उसकी पैकेजिंग और अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने में जिस भी तरह के कच्चे माल की आवश्यकता आपको होगी उसकी पूरी लिस्ट होनी चाहिए।
इसी सेक्शन में उस एरिया में कच्चे माल की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। यदि कच्चे माल के तौर पर कोई कृषि उत्पाद इस्तेमाल में लाया जा रहा हो, तो क्या उसकी प्रचुर मात्रा उसी एरिया में पैदा होती है, या फिर उद्यमी कहीं और से कच्चे माल का प्रबंध करने वाला है।
किसी भी परियोजना को पूर्ण करने के लिए मजदूरो/कर्मचारियों की नितांत आवश्यकता होती है। और सबसे बड़ी बात यह है की एक इकाई को चलाने के लिए आपको अलग अलग स्किल और योग्यता वाले कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। इसलिए इस सेक्शन में प्रमोटर को उस लोकेशन पर जहाँ पर वह अपनी परियोजना स्थापित करना चाहता है, वहाँ पर कुशल/अकुशल कर्मचारियों की उपलब्धता का विवरण भी लिखना होगा।
सिर्फ इतना ही नहीं उद्यमी को किस काम के लिए किस पद पर कितने कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। और कुल कितने कर्मचारियों की आवश्यकता होगी इसका विवरण भी इसमें जरुर लिखें।
बात जब विनिर्माण बिजनेस की हो रही हो तो इसे बिना प्लांट और मशीनरी के शुरू नहीं किया जा सकता है। हालांकि सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी परियोजना में ही मशीनरी का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि सर्विस सेक्टर से जुड़े बिजनेस में भी विभिन्न कारणों से उपकरणों एवं मशीनरी का इस्तेमाल होता है।
इस सेक्शन में आपको उन मशीनरी और उपकरणों की पूरी लिस्ट प्रदान करनी होती है जो आपके बिजनेस को संचालित करने के लिए जरुरी हैं । आप चाहें तो मशीनरी और उपकरणों के आगे उनकी अनुमानित कीमत भी लिख सकते हैं।
यह जरुरी नहीं है की किसी एक उत्पाद को बनाने के केवल एक ही विनिर्माण प्रक्रिया अपनाई जाती हो। किसी एक ही वस्तु का निर्माण करने वाली दो अलग अलग संगठनों द्वारा दो अलग अलग विनिर्माण प्रक्रियाएं अपनाई जा सकती हैं। लेकिन यदि आप कोई ऐसा बिजनेस शुरू कर रहे हैं जिसकी आपको गहरी नॉलेज है और आप कुछ नए तरीके से उसमें प्रोडक्ट का निर्माण करना चाहते हैं।
तो आपको उसकी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के बारे में अच्छी तरह पता होगा, जिसे आपने इस सेक्शन में लिखना है । लेकिन यदि आप मार्किट में प्रचलित विनिर्माण प्रक्रिया के माध्यम से ही किसी वस्तु का निर्माण करना चाहते हैं, तो आप उसकी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस जानने के लिए उस विनिर्माण इकाई का विजिट कर सकते हैं ।
अब आपको अंत में परियोजना के किन मदों पर कितना खर्चा आएगा, इसके बारे में लिखना है यदि आपकी ऋण लेने की योजना है तो पूरी प्रोजेक्ट कास्ट में प्रमोटर का क्या कॉन्ट्रिब्यूशन रहेगा, और कितने तक लोन लिया जाएगा, और उसका किस तरह से भुगतान किया जाएगा। इसकी पूरी जानकारी होती है। आम तौर पर एक परियोजना रिपोर्ट (Project Report) में आने वाले पांच सालों का वित्तीय विवरण शामिल होता है। जिसमें मशीनरी उपकरणों इत्यादि की डेप्रिसिएशन वैल्यू भी लागू होती है।
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